अपील

अपील

लेखकों, बुद्धिजीवियों, कलाकारों के नाम

चलो जंतर मंतर 5 सितंबर 2018 सुबह 9:30 बजे

भारत के लाखों मज़दूर, किसान और दलित शोषित अवाम आ रहे हैं दिल्ली एक ऐतिहासिक विशाल रैली में, उस शोषण और जुल्मोसितम के ख़िलाफ़ जो देशभर में आरएसएस-भाजपा की सरकारें और उनके फ़ासीवादी सांप्रदायिक संगठन बरपा कर रहे हैं, जिन्होंने नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एम एम कलबुर्गी और गौरी लंकेश जैसे रचनाकारों व वैज्ञानिक सोच के बुद्धजीवियों की हत्याएं की हैं। उन्हीं संगठनों की सरपरस्त सरकार मज़दूरों के ख़िलाफ़ श्रमक़ानूनों में ऐसे बदलाव करने का संसद में प्रयास कर रही है जिससे कारपोरेट घराने मज़दूरों को मनमाने ढंग से जब चाहें निकाल बाहर कर सकेंगे। जनता के खूनपसीने की कमाई से बनाये गये पब्लिक सेक्टर को तेज़ी से देशीविदेशी कारपोरेट घरानों को बेचने की ताबड़तोड़ कोशिश में मोदी सरकार लगी है। निजीकरण की नीतियों को और अधिक तेज़ गति से लागू किया जा रहा है जिससे सबसे ज्य़ादा अहित दलितों और संगठित मज़दूरों का हो रहा है। देशभर के मज़दूरों में भारी आक्रोश है। यहां तक कि भाजपा के नेतृत्व में बने भारतीय मज़दूर संघ के सदस्यों तक में उन नीतियों की मुख़ालफ़त हो रही है, भले ही वह दिखाने भर के लिए हो। देशभर में किसानों की हालत बहुत ख़राब है। वे हर रोज़ ग़रीब से ग़रीबतर होते जा रहे हैं, आत्महत्याएं कर रहे हैं और विरोधप्रदर्शन भी—मंदसौर में गोलियां खाकर, तो महाराष्ट्र में नासिक से लेकर मुंबई तक पैदल ऐतिहासिक मार्च करके। वे सब अब दिल्ली आ रहे हैं। ये अवाम के वे हिस्से हैं जिनकी मेहनत पर भारत की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है, और भारत का जनवाद भी इन्हीं के संघर्षों के बल पर ज़िंदा रह सकता है। इसलिए इनके इस ऐतिहासिक प्रतिरोध में हम सबको शामिल होकर इनके साथ अपनी एकजुटता का इज़हार करना ही चाहिए।

            जनवादी लेखक संघ और अनेक अन्य सांस्कृतिक संगठन पहुंचेंगे जंतर मंतर। आप भी प्रतिरोध के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन में शामिल हों, शोषित दलित अवाम के साथ अपनी एकजुटता दिखायें जैसे दुनियाभर के महान रचनाकारों कलाकारों ने मानव इतिहास के अनेक दौरों में दिखायी और जिसकी वजह से हम गोर्की, ब्रेख्त़, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, सज्जाद ज़हीर, प्रेमचंद, मुल्क राज आनंद, हबीब जालिब, मुक्तिबोध, नागार्जुन, आदि से ले कर बलराज साहनी, भीष्म साहनी, हबीब तनवीर और सफ़दर हाशमी तक सैकड़ों रचनाकारों, कलाकारों को याद करते और उनसे प्रेरणा लेते हैं।

            तो, आइए, हम आपका इंतज़ार करेंगे, 5 सितंबर 2018 को, जंतर मंतर पर सुबह 9-30 बजे, जब रैली का पहला जत्था रामलीला मैदान से चलकर जंतर मंतर पर पहुंचेगा। हम उनके स्वागत में जंतर मंतर और संसद मार्ग के कोने पर अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए खड़े होंगे।

निवेदक

जनवादी लेखक संघ

 


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