11वां राष्ट्रीय सम्मेलन 19 सितम्बर को बड़ोखर खुर्द गांव में प्रेम सिंह की बगिया सभागार में शुरू हुआ। देश के विभिन्न राज्यों से आये हिंदी व उर्दू के लगभग 250 लेखकों ने इसमें भाग लिया।
पहले दिन हुए उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता चंचल चौहान, रेखा अवस्थी और इब्बार रब्बी के अध्यक्ष मंडल ने की। शुरुआत में स्वागत समिति के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने लेखकों का स्वागत किया। जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह और प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ख़ान अहमद फारुख़ ने सम्मेलन को सराहा और शुभकामनाएं दीं।
उद्घाटन सत्र का संचालन जनवादी लेखक संघ के महासचिव संजीव कुमार ने किया।
उद्घाटन सत्र के बाद ‘अघोषित आपातकाल के हमले और प्रतिरोध’ विषय पर विचार सत्र आयोजित हुआ। इस सत्र को शुभा, कवि संपत सरल, भंवर मेघवंशी और नीतीशा खलको ने संबोधित किया। इस सत्र के अध्यक्ष मंडल में राम प्रकाश त्रिपाठी, मनमोहन और अली इमाम ख़ान शामिल थे। संयुक्त महासचिव बजरंग बिहारी तिवारी ने विचार सत्र का संचालन किया। पहले दिन का समापन स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नौटंकी से हुआ।
सम्मेलन के दूसरे दिन की शुरुआत ‘सरोकार का सिनेमा’ विषय पर संजय जोशी की प्रस्तुति से हुई। जोशी ने सिनेमा के जन इतिहास से लेकर प्रतिरोध की अभिव्यक्ति पर चर्चा की और प्रोजेक्टर से प्रस्तुति दी।
इसके बाद महासचिव संजीव कुमार ने सांगठनिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। महासचिव द्वारा प्रस्तुत की गयी सांगठनिक रिपोर्ट पर विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधियों द्वारा चर्चा जारी रही।
शाम के सांस्कृतिक सत्र में कविता सत्र की शुरुआत केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘बसंती हवा’ पर कथक नृत्य से हुई। कथक गुरु श्रद्धा निगम की उपस्थिति में उनकी छात्राओं द्वारा नृत्य पेश किया गया। उसके बाद देश भर के आये कवियों ने कविता सत्र में अपनी कविताओं का पाठ किया।
सम्मेलन के तीसरे दिन की शुरुआत शेष बचे राज्यों द्वारा महासचिव की रिपोर्ट पर अपनी बात रखने से हुई। राज्यों द्वारा रिपोर्ट पर अपना पक्ष रखे जाने के बाद प्रतिनिधियों से प्राप्त परिचय प्रपत्र के आधार पर ज्ञान प्रकाश चौबे ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। उसके बाद महासचिव संजीव कुमार ने उनके द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट पर उठाये गये मुद्दों का जवाब दिया। जवाब से संतुष्ट होने के बाद प्रतिनिधियों द्वारा रिपोर्ट को पारित किया गया।
महासचिव की रिपोर्ट पारित होने के बाद बिहार इकाई के सचिव कुमार विनीताभ ने 3 साल बाद बिहार में 12वें राष्ट्रीय सम्मेलन की मेज़वानी करने की पेशकश की जिसे तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वीकृति मिली। उसके बाद जनवादी लेखक संघ के केंद्रीय संरक्षक मंडल, पदाधिकारी मंडल, कार्यकारिणी और परिषद के सदस्यों का नाम महासचिव ने प्रस्तावित किया। प्रतिनिधियों ने ध्वनिमत से प्रस्ताव का समर्थन किया। 3 दिन चले इस राष्ट्रीय सम्मेलन में कुल 11 प्रस्ताव पारित किये गये। सदस्यता और कार्यकारी मंडल से जुड़े कुछ संशोधन भी पारित किये गये। नवनिर्वाचित अध्यक्ष चंचल चौहान और महासचिव नलिन रंजन सिंह ने प्रतिनिधियों को संबोधित किया।
स्थानीय इकाई की ओर से सुधीरकुमार सिंह और स्वागत समिति की ओर से प्रेम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। अध्यक्ष ने सम्मेलन के समापन की घोषणा की। समापन में कलाकारों द्वारा बुंदेलखंड का शानदार देवारी नृत्य प्रस्तुत किया गया।