झूठे आरोपों के तहत बुद्धिजीवियों की गिरफ्त़ारियां

नयी दिल्ली : 28 अगस्त : पहली जनवरी को हुई भीमा-कोरेगांव की भयावह दलित-विरोधी हिंसा के बाद से पुणे पुलिस असली गुनहगारों को पकड़ने के बजाय लगातार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है। 6 जून को उसने छह मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्कृतिकर्मियों को ‘टॉप अर्बन माओइस्ट ऑपरेटिव्स’ बताकर गिरफ़्तार किया और यह दावा किया कि भीमा-कोरेगांव की हिंसा के पीछे उनकी भूमिका थी। इसी कड़ी में आज देश के अलग-अलग भागों में सात महत्वपूर्ण बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के घरों पर छपे मारे गयं—दिल्ली में गौतम नवलखा, हैदराबाद में वरवर राव, फ़रीदाबाद में सुधा भारद्वाज, मुंबई में वर्नन गोंसाल्विस और अरुण फ़रेरा, रांची में स्टेन स्वामी और गोवा में आनंद तेलतुम्बड़े के घर पर छापा मारकर पुलिस ने उनके अनेक कागज़ात, दस्तावेज़, लैपटॉप आदि ज़ब्त किये। इस बयान के लिखे जाने तक सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, वर्नन गोंसाल्विस और अरुण फ़रेरा को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार भी किया जा चुका है। ग़ौर करने की बात है कि ये सभी लोग पत्र-पत्रिकाओं से लेकर सरकारी महकमों और अदालतों तक दलित हक़ों की लड़ाई लड़ते रहे हैं।

          जनवादी लेखक संघ इस छापेमारी और गिरफ़्तारी की कठोर शब्दों में निंदा करता है। यह विरोध और आलोचना की हर आवाज़ को ख़ामोश कर देने की एक शर्मनाक कोशिश है। भीमा-कोरेगांव में दलितों पर जानलेवा हमले करनेवाले और उस हमले की योजना बनानेवाले बेख़ौफ़ घूम रहे हैं। उन्हें राज्य और केंद्र की हिंदुत्ववादी सरकारों का वरदहस्त मिला हुआ है। दूसरी तरफ़, उन लोगों को जेल की सलाख़ों के पीछे धकेला जा रहा है जिन्होंने दलित अधिकारों के लिए हमेशा आवाज़ बुलंद की है। भीमा-कोरेगांव की घटना और उसके बाद का सिलसिला यह बताता है कि हिंदुत्ववादी शक्तियां एक तीर से दो शिकार करने में लगी हैं। पहले उन्होंने भीमा-कोरेगांव में हुए ऐतिहासिक संग्राम की दो सौवीं जयंती के मौक़े पर दलितों को अपना शिकार बनाया और उसके बाद उसी हिंसा के आरोप में उन बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अपना शिकार बनाना शुरू किया जिनकी आवाज़ उनके लिए हमेशा से असुविधाजनक रही है। यह लोकतंत्र पर खुला हमला है। हम इसकी भर्त्सना करते हैं और इन सजग नागरिकों पर लगाए गये झूठे आरोपों को वापस लेने तथा इन्हें अविलंब रिहा करने की मांग करते हैं।


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