देवी प्रसाद त्रिपाठी नहीं रहे

नयी दिल्ली: 3 जन : कल 2 जनवरी को कवि, संस्कृतिकर्मी और राजनेता देवी प्रसाद त्रिपाठी हमारे बीच नहीं रहे. वे अपने क़रीबियों के बीच डीपीटी के नाम से जाने जाते थे. 29 नवम्बर 1952 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में जन्मे डीपीटी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महासचिव थे, लेकिन उनकी पहचान सिर्फ़ राजनेता के रूप में नहीं थी. अपनी पढ़ाई-लिखाई, बौद्धिक क्षमता और बहु-भाषा-ज्ञान के लिए भी वे जाने जाते थे. 1971 में इलाहाबाद से प्रकाशित कविता-संग्रह ‘प्रारूप’ में दिनेश कुमार शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी आदि कवियों के साथ देवी प्रसाद त्रिपाठी की कविताएं भी संकलित हुई थीं. इलाहाबाद से वे दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए आये जहां 1973 में एसएफआई की ओर से जनेवि छात्र-संघ के बहुचर्चित अध्यक्ष रहे. यहीं 1975 में आपातकाल के दौरान मीसा के तहत उनकी गिरफ़्तारी हुई. जनेवि से पढ़ाई समाप्त करने के बाद थोड़े समय वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र के प्राध्यापक भी रहे. इसके बाद वे पूरी तरह से राजनीति में उतर गये.

देवी प्रसाद त्रिपाठी ‘थिंक इंडिया’ नामक त्रैमासिक पत्रिका के सम्पादक भी थे. हिन्दी की साहित्यिक दुनिया के साथ उनका घनिष्ठ सम्बन्ध था. वे एक वाग्मी वक्ता थे और साहित्यिक विषयों, कृतियों तथा रचनाकारों पर पूरे अधिकार के साथ बोलते थे.

जनवादी लेखक संघ श्री त्रिपाठी के निधन से शोक-संतप्त है. हम उनकी स्मृति को सादर नमन करते हैं.


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