नयी दिल्ली : 26 अप्रैल 2025 : ‘अकविता’ आंदोलन की महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर सुश्री मोना गुलाटी के निधन पर जनवादी लेखक संघ उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित करता है। आज शिकागो, अमेरिका में उनका देहांत हुआ जहां वे पारिवारिक कारणों से लंबे समय से रह रही थीं।
7 जनवरी 1946 को मॉन्टगुमरी में जन्मीं मोना गुलाटी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी, अंग्रेज़ी और दर्शनशास्त्र में एम ए की उपाधि ली थी, साथ ही एल एल बी भी किया था। वे लंबे समय तक पटियाला हाउस कोर्ट, नयी दिल्ली में अधिवक्ता रहीं और उन्होंने कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में सौंदर्यशास्त्र का अध्यापन भी किया। 1977-78 में ‘अस्ति’ नामक कविता पत्रिका का उन्होंने संपादन किया जिसमें कविता और चित्रकला को जोड़ने का महत्त्वपूर्ण प्रयोग किया गया। उनके दो कविता-संग्रह प्रकाशित हैं: महाभिनिष्क्रमण (1992) और सोच को दृष्टि दो (1995)। अमेरिका की एक कविता संस्था द्वारा उन्हें ‘गोल्डन पोएट’ की उपाधि से नवाज़ा गया।
लंबे अरसे से अमेरिका प्रवास के कारण हिंदी की साहित्यिक हलचलों से वे बाहर थीं जिसके कारण उनके रचनाकर्म का एक बड़ा हिस्सा अभी भी अप्रकाशित है। उसे लोगों के सामने आना चाहिए।