संसद में सांप्रदायिक नफ़रत

नयी दिल्ली : 23 सितं. 2023 : कल लोकसभा में जो हुआ, वह भारतीय संसद के अब तक के इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना है। शर्मनाक सिर्फ़ इसलिए नहीं कि भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने बसपा सांसद दानिश अली को ‘मुल्ला आतंकवादी’ कहा और साथ ही दो ऐसे लफ़्ज़ों का सदन में उच्चारण किया जो शरीफ़ इंसान सोच भी नहीं सकता; शर्मनाक इसलिए भी कि इसके बावजूद श्री बिधूड़ी का निलंबन नहीं हुआ। जिस भाजपा राज में मामूली बातों पर सांसदों का सदन से निलंबन  एक आम बात हो गयी है, उसी में जनता के एक प्रतिनिधि को ‘मुल्ला आतंकवादी’ कहा जाना जैसे कोई अपराध ही न हो! इस सांसद को भाजपा की ओर से ‘कारण बताओ’ नोटिस दिया जाना कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं है। पार्टी द्वारा जारी नोटिस और अन्य भाजपा सांसदों द्वारा रमेश बिधूड़ी की भाषा की आलोचना एक दिखावा भर है। कौन नहीं जानता कि इस सांसद ने सदन में जो कहा, वह आम मुसलमानों के बारे में वही नफ़रती दुष्प्रचार है जो आरएसएस-भाजपा द्वारा ज़मीनी स्तर पर लगातार किया जाता रहा है। यह फ़ासीवादियों की आज़मायी हुई, पुरानी और सबसे भरोसेमंद चालों में से एक है। भाजपा की पूरी राजनीति इसी दुष्प्रचार और इसके ज़रिये एक कॉमन सेंस की गढ़ंत पर टिकी है। इसी के बल पर उस राष्ट्रवादी उन्माद और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को हवा दी जाती है जिसका फ़ायदा आरएसएस-भाजपा को मिलता है।

इस सिरे से सोचिए तो उक्त भाजपा सांसद द्वारा संसद में इस्तेमाल की गयी भाषा कहीं से आश्चर्यजनक और अप्रत्याशित नहीं है। यह आरएसएस-भाजपा के बुनियादी सोच की अभिव्यक्ति है। सदन में इस तरह की सोच को व्यक्त करने से वे परहेज़ करते हैं, लेकिन परहेज़ तो परहेज़ ही है, कभी भी टूट सकता है। हर इंसान के लिए हर समय परहेज़ निभाना संभव नहीं होता। उक्त सांसद के साथ यही हुआ।

इस घटना की जितनी भी निंदा की जाये, कम है। और भाजपा को यह समझ लेना चाहिए कि ‘कारण बताओ’ नोटिस के नाटक से वह कुछ भी साबित नहीं कर सकती। हम लोकसभा से रमेश बिधूड़ी के अविलंब निलंबन और नफ़रती भाषण के जुर्म में गिरफ़्तारी की मांग करते हैं।


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