अलविदा, शेखर जोशी

नयी दिल्ली : 4 अक्टूबर 2022 : ‘दाज्यू’, ‘कोसी का घटवार’, ‘बदबू’ और ऐसी तमाम कहानियां लिखने वाले ‘नयी कहानी’ आंदोलन के स्तंभ शेखर जोशी हमारे बीच नहीं रहे। वे काफ़ी समय से बीमार चल रहे थे। आज, 4 अक्टूबर 2022 को अपराह्न 3:20 बजे गाज़ियाबाद के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। 5 अक्टूबर 2022 को उनकी इच्छानुसार उनका पार्थिव शरीर देहदान के लिए ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल को सुबह 9 बजे सौंप दिया जायेगा।

10 सितंबर 1932 को अल्मोड़ा जनपद के ओलिया गांव में जन्मे शेखर जोशी ने अभी पिछले महीने ही 90 वर्ष पूरे किये थे। 1953 में लिखी अपनी कहानी ‘दाज्यू’ से वे चर्चा में आये थे और उनका पहला कहानी संग्रह, कोसी का घटवार 1958 ई. में प्रकाशित हुआ था। पहाड़ी जीवन और मध्यवर्गीय पारिवारिक स्थितियों पर उनकी लिखी कहानियां बेहद चर्चित हुई थीं। मज़दूरों के जीवन पर लिखी कहानियों के मामले में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनायी थी। एक तरह से कह सकते हैं कि ग्राम कथा बनाम नगर कथा की धाराओं के संघर्ष में अपनी प्रगतिशील चेतना से लैस औद्योगिक जीवन को आधार बनाकर लिखी गयी कहानियों की एक तीसरी धारा शेखर जोशी से निकलती थी। उनकी कहानियां स्वयं में एक आंदोलन हैं।

शेखर जोशी जनवादी लेखक संघ की स्थापना के समय से इससे जुड़े रहे और लंबे समय तक इसके उपाध्यक्ष रहे। अभी हाल ही में जयपुर में संपन्न जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्हें ‘संरक्षक मंडल’ में शामिल किया गया था। अपने समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए वे हमेशा जाने गये। अपने मधुर व्यवहार के कारण वे अपने समकालीन कहानीकारों और परवर्ती पीढ़ी में बेहद लोकप्रिय थे।

शेखर जोशी का निधन जनवादी लेखक संघ और हिंदी के साहित्यिक समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। जनवादी लेखक संघ अपने अभिभावक साथी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करता है और उनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

 


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