नयी दिल्ली : 19/04/2021: हिंदी के महत्त्वपूर्ण विद्वान और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. कृष्ण दत्त शर्मा का आकस्मिक निधन बहुत विचलित कर देने वाली सूचना है। वे कोविड-19 से ग्रस्त हुए और फेफड़ों में संक्रमण फैल जाने के बाद किसी अस्पताल में जगह न मिल पाने के कारण उन्हें बचाया न जा सका। कल यानी 18/04/2021 को वे नहीं रहे।
1942 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद ज़िले के कंपिल गांव में जन्मे कृष्ण दत्त जी बहुत गंभीर और परिश्रमी साहित्याध्येता थे। ड्राइडन, कॉलरिज, एलियट, रामविलास शर्मा और मुक्तिबोध की आलोचना-दृष्टियों पर लिखी उनकी किताबें और स्वतंत्र लेख अध्येताओं के बीच बहुचर्चित रहे हैं। उन्हें इन चिंतकों के सैद्धांतिक पक्ष का आधिकारिक विद्वान मानना विवाद से परे है। अभी-अभी उन्होंने रामविलास शर्मा की रचनावली का संपादन पूरा किया था जो शीघ्र प्रकाश्य है।
चर्चाओं और सरगर्मियों से दूर रहनेवाले, प्रशांतमना कृष्ण दत्त जी प्रगतिशील-जनवादी मूल्यों के प्रति समर्पित थे। सभाओं और जमावड़ों से थोड़ी दूरी बरतना और समर्पित भाव से अपने शोध-विषय पर काम करते रहना उनका स्वभाव था।
जनवादी लेखक संघ डॉ. कृष्ण दत्त शर्मा के आकस्मिक निधन पर शोक-संतप्त है। हम उन्हें हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इस कठिन घड़ी में उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं।