मुक्तिबोध पर एक परिसंवाद की रपट हमारे समय के अंधेरे में बजरंग बिहारी जनवादी लेखक संघ और राजेंद्र प्रसाद अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार दिनांक 29 अप्रैल, 2017 को आइटीओ के निकट राजेंद्र प्रसाद भवन, नई दिल्ली में मुक्तिबोध … Continue reading
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जलेस की फे़सबुक से एक पोस्ट ‘मुझे अपनी फ़िक्र नहीं. बुनियादपरस्ती से लड़ने का एकमात्र तरीक़ा यही है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लिखा जाए और अधिक रैलियाँ की जायें।‘ ये शब्द हैं बांग्ला कवयित्री मंदाक्रांता सेन के, जिन्हें हिन्दुत्ववादियों ने फे़सबुक पर … Continue reading
नयी दिल्ली : 10 मार्च : डॉ. धर्मवीर का असामयिक निधन हिन्दी साहित्य और दलित आन्दोलन के लिए एक बड़ी क्षति है. वे कैंसर से पीड़ित थे. एक बार स्वास्थ्य-लाभ कर चुकने के बाद दुबारा कैंसर के हमले को उनका … Continue reading
नयी दिल्ली : 22 फ़रवरी : विश्वविद्यालयों में आरएसएस के विद्यार्थी विंग एबीवीपी की, सरकारी-पुलिसिया संरक्षण में चलने वाली गुंडागर्दी अपने चरम पर है। 3 फरवरी को जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में जेएनयू की प्रो. निवेदिता मेनन के व्याख्यान … Continue reading
एनडीटीवी पर एक दिन के प्रतिबन्ध का तानाशाही फ़ैसला वापस लो! नयी दिल्ली : 4 नवंबर : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अंतर-मंत्रालयी कमेटी द्वारा एनडीटीवी को एक दिन (9 नवम्बर) के लिए प्रतिबंधित करने का फ़ैसला दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय … Continue reading
नयी दिल्ली : 6 अक्टूबर : हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय में ‘द्रौपदी’ के मंचन को लेकर खड़ा किया गया हंगामा और इंदौर में इप्टा के राष्ट्रीय सम्मलेन में तोड़फोड़ की कोशिश — हाल की ये दोनों घटनाएं बताती हैं कि राष्ट्रवादी … Continue reading
पिछले साल जनवादी लेखक संघ ने बांदा में ‘आम्बेडकरवाद और मार्क्सवाद: पारस्परिकता के धरातल’ विषय पर तीन-दिवसीय कार्यशाला की थी, जिसके अनेक महत्वपूर्ण व्याख्यान और संवाद आपने, संभव है, ‘नया पथ’ के ताज़ा अंक में देखे होंगे. उस कार्यशाला की … Continue reading
अनुक्रम संपादकीय / 3 स्मृति शेष ज़ुबैर रज़वी का अदबी सफ़र: संक्षिप्त परिचय: अर्जुमंद आरा / 5 जु़बैर रज़वी: एक जीवनी: खुर्शीद अकरम / 13 परंपरा में नये दरीचे खोलने वाला शायर: ख़ालिद अशरफ़ / 18 निदा तेरा जाना कटारी … Continue reading
नयी दिल्ली : 23 जुलाई : महत्वपूर्ण कवि, गद्यकार और अनुवादक श्री नीलाभ का निधन हिंदी के संसार के लिए एक बड़ी क्षति है. वे 72 वर्ष के थे और अपनी व्यक्तिगत परेशानियों के बावजूद उनकी साहित्यिक-वैचारिक सक्रियता लगातार बनी … Continue reading
2 जुलाई, 2016 को पंजाबी भवन, नयी दिल्ली में जनवादी लेखक संघ केंद्र की ओर से प्रसिद्ध नाटककार, कथाकार और चिन्तक, ‘मुद्राराक्षस को याद करते हुए’ एक सभा हुई. मुद्रा जी के प्रशंसक और उनके दोस्त व राजधानी क्षेत्र के … Continue reading