नयी दिल्ली : 24 सितंबर : ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के जवाबी नारे ‘बचेगी बेटी तो पढ़ेगी बेटी’ के साथ सड़क पर उतरी बीएचयू की छात्राओं पर बर्बर लाठीचार्ज करवाकर बीएचयू प्रशासन, उत्तरप्रदेश सरकार और फ़ासीवादी आरएसएस ने अपने को पूरी तरह बेनक़ाब कर लिया है। छात्राएं अपने न्यूनतम नागरिक अधिकारों की मांग कर रही थीं, लेकिन आरएसएस के पक्ष में खुलकर बोलने और परिसर में शाखाएं लगवाने वाले कुलपति ने उनसे मिलकर बात करना तक मुनासिब नहीं समझा। छात्राओं के साथ छेड़खानी होती रहे, उन्हें बलात्कार की धमकियां मिलती रहें, और प्रशासन उनकी सुरक्षा के इंतज़ामात करने के बजाय सुरक्षा के नाम पर उन्हीं के ऊपर पाबंदियां बढ़ाता जाये – यह छात्राओं को नामंजूर था। इसका जवाब उन्हें भयानक पुलिसिया दमन से दिया गया। असूर्यम्पश्या भारतीय नारी के निकृष्ट आदर्श को लागू करने पर आमादा आरएसएस का यह घिनौना चेहरा है, जो इन दिनों प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय में खुलकर सामने आया है। इसके ख़िलाफ़ छात्राओं का संघर्ष बराबरी के अधिकार के लिए चलने वाली अभूतपूर्व लड़ाई है। हम उन्हें क्रांतिकारी सलाम पेश करते हैं और उन्हें हतोत्सहित करने की हिंसक शासकीय-प्रशासकीय कार्रवाइयों की कठोर भर्त्सना करते हैं.
कल 25 सितबंर को कई संगठन बीएसयू की छात्राओं पर दमन के ख़िलाफ़ सम्मिलित रूप से दिल्ली के जंतर-मंतर पर 1 बजे दिन में प्रदर्शन करने जा रहे हैं। हम लेखकों-संस्कृतिकर्मियों से अपील करते हैं कि बड़ी संख्या में वहां भागीदारी करें।