लेखकों, पाठकों और संस्कृतिकर्मियों का मौन जुलूस 23 अक्टूबर को सुबह 9:45 बजे श्री राम सेन्टर, सफ़दर हाशमी मार्ग से साहित्य अकादमी, रवीन्द्र भवन तक जैसा कि हम जानते हैं, 23 तारीख़ को साहित्य अकादमी की कार्यकारिणी की एक आपात … Continue reading
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देश में लगातार बढ़ती हुई हिंसक असहिष्णुता और कट्टरपंथ के ख़िलाफ़ पिछले कुछ समय से जारी लेखकों के प्रतिरोध ने एक ऐतिहासिक रूप ले लिया है. 31 अगस्त को प्रोफेसर मल्लेशप्पा मादिवलप्पा कलबुर्गी की हत्या के बाद यह प्रतिरोध अनेक … Continue reading
2 से 4 अक्तूबर 2015 को जनवादी लेखक संघ केंद्र की ओर से बांदा में ‘आम्बेडकरवाद और मार्क्सवाद: पारस्परिकता के धरातल’ विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। आयोजन-स्थल था, बांदा के निकट बड़ोखर खुर्द के प्रगतिशील और जागरूक … Continue reading
जनवादी लेखक संघ हिंदी के प्रतिष्ठित कवि श्री वीरेन डंगवाल की मृत्यु पर गहरा शोक प्रकट करता है. वे लम्बे समय से कैंसर से पीड़ित थे. स्वास्थ्य संबंधी बाधाओं के बावजूद जनपक्षधर संस्कृति-कर्म के साथ उनका जुड़ाव लगातार बना हुआ … Continue reading
जनवादी लेखक संघ का बयान भोपाल में आयोजित दसवें विश्व हिंदी सम्मलेन को हिंदी साहित्य और साहित्यकारों की छाया से जिस तरह दूर रखा गया, वह कतई आश्चर्यजनक नहीं था। एक ऐसे समय में, जब केंद्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ … Continue reading
सुधीर सिंह की रिपोर्ट कन्नड़ विद्वान और अन्धविश्वास-विरोधी मुखर लेखक पूर्व कुलपति प्रो एम एम कलबुर्गी को पिछले सप्ताह हुई हत्या के खिलाफ देश भर में उठी प्रतिवाद की लहर के क्रम में 6 सितम्बर को इलाहाबाद में चन्द्रशेखर आजाद … Continue reading
प्रिय साथी, हमने सितम्बर महीने की पहली तारीख़ को 20 अन्य संगठनों के साथ मिलकर 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रो. कलबुर्गी की हत्या के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन का फैसला किया था. धीरे-धीरे इस अभियान में शामिल होनेवाले संगठनों … Continue reading
नया पथ : जनवरी-जून 2011(संयुक्तांक) नागार्जुन विशेषांक के रूप में प्रकाशित हुआ था। इसमें 410 पृष्ठों की सामग्री और चित्रावली प्रकाशित हुई थी।:उसके अनुक्रम को हम यहां दे रहे हैं : –वेब संपादक अनुक्रम संपादकीय / 3 खंड एक: रचनाकार … Continue reading
नयी दिल्ली 30 अगस्त : बुद्धिवादी वाम-विचारक और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ विद्वान् प्रो. एम एम कलबुर्गी की हत्या नरेंद्र दाभोलकर और कामरेड गोविंद पानसारे की हत्या की ही अगली कड़ी है। यह बात संदेह से परे है … Continue reading
दलितों के उत्पीड़न के मामले में हरियाणा इतना बदनाम है कि पड़ोसी राज्य राजस्थान को अक्सर शांत इलाका मान लिया जाता है. गाहे-बगाहे वहां से जातिवादी हिंसा की जो खबरें आती हैं वे हरियाणा की भीषण वारदातों के समक्ष उपेक्षित-सी … Continue reading