सुधीर सिंह की रिपोर्ट
कन्नड़ विद्वान और अन्धविश्वास-विरोधी मुखर लेखक पूर्व कुलपति प्रो एम एम कलबुर्गी को पिछले सप्ताह हुई हत्या के खिलाफ देश भर में उठी प्रतिवाद की लहर के क्रम में 6 सितम्बर को इलाहाबाद में चन्द्रशेखर आजाद की शहादत स्थली में दोपहर बाद नगर के विभिन्न वर्गों के लोग सैकड़ों की संख्या में इकट्ठे हुए।
94 वर्ष के हो रहे स्वतंत्रतता सेनानी कामरेड जिया उलहक़ से लेकर 13 साल के शुभ्रकांति गांगुली और प्रोफ़ेसर से लेकर प्लम्बर और छात्र-छात्रों,कवियों-लेखको , मजदूरों-कर्मचारियों से लेकर अधिवक्ता भीषण उमस और धुप से बेपरवाह मौजूद थे।
‘मै कलबुर्गी’ ‘मै पानसरे’ ‘मै दाभोलकर’ ‘पाथर पूजे हरि मिलें तो मै पूजूं पहाड़’जैसी पचासों तख्तियों हाथ में लिए करीब 400 लोग जब कर्नलगंज और कटरा की घनी बाज़ार से गुजरे तो तमाम स्थानीय लोग, महिलाएं और बच्चे अपने घरों-दुकानों से बाहर निकलकर जैसे जुलूस का स्वागत कर रहे थे।
करीब दो कि मी लम्बे रास्ते से होते हुए जब सब इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ भवन पर शहीद लाल पदम्धर की प्रतिमा के सामने पहुचे तो सबके चेहरे लाल हो रहे थे और खून के बदले खून न भी सही तो पसीना भरपूर सब बहाये तरबतर थे। अभी हाल ही में दिल की सर्जरी कराये सीने को बेल्ट से जकड़े इतिहासकार लाल बहादुर वर्मा, 80 को चुनौती दे रहे कथाकार दूधनाथ सिंह, प्तोफेसर राजेन्द्र कुमार, अपनी अनेक बिमारियों को धकेले 75 पार उर्मिला जैन ,पी यू सी एल के वरिष्ठ अधिवक्ता रवि किरण जैन का जोश जैसे अखिल, सुनील,अंकुश, झरना, सूर्या, अरशद, भीम जैसे विद्यार्थियों पर भी भारी पड़ रहा था।
प्रणय कृष्ण, संतोष भदौरिया, के के पाण्डे, प्रलेस के असरार गाँधी, जलेस के हरीश चन्द्र पांडे, राम प्यारे राय, संतोष चतुर्वेदी, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट के सम्पादक जे पी सिंह, अनिल रंजन भौमिक, अंशुल त्रिपाठी, नीलम शंकर, संध्या नवोदिता, सीटू नेता हरिश्चन्द्र द्विवेदी, एच आर एल एन से अधिवक्ता के के राय, बीमा कर्मियों के मंडलीय अध्यक्ष अविनाश मिश्र, जसम के राजन विरूप, बैंक के नेता विमल चौधरी, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिवस के नेता मोहन सिंह, एटक के नसीम अंसारी और राम सागर, आलोक बोस, स्त्री अधिकार संगठन से पदमा सिंह, एस एफ आई , आइसा, आल इण्डिया डी एस ओ, दिशा, नौजवान सभा, आरोही, सामानांतर, स्वराज्य विद्यापीठ से राम धीरज, दस्तक,इतिहास बोध मंच शिक्षक संघ के अजय कुमार सिंह, यू पी बार कौंसिल के मेंबर अनिल प्रताप सिंह से जुड़े अनेक साथियों का इस मुद्दे पर एकजुट होना इस प्रतिरोध के जरिये बड़े सकारात्मक संकेत भी छोड़ गया।
कई लोग बोले और मोदी सरकार के संरक्षण में हमलावर हो रहे कट्टर हिंदुत्व के इस हत्यारे फैलाव के प्रति अपनी चिंता प्रकट की।