खगेन्द्र ठाकुर का निधन

नयी दिल्ली : 13 जनवरी : हमारे समय के महत्त्वपूर्ण आलोचक और प्रतिबद्ध वामपंथी कार्यकर्त्ता कॉमरेड खगेन्द्र ठाकुर का निधन शोक-संतप्त कर देने वाली ख़बर है| पता चला है कि सांस की तकलीफ़ के कारण उन्हें आज पटना एम्स में दाख़िल कराया गया था जहां दोपहर 1:30 बजे उनका देहावसान हो गया|

            1937 में वर्त्तमान झारखंड और तत्कालीन बिहार के गोड्डा ज़िले के मालिनी गांव में जन्मे खगेन्द्र जी लम्बे समय तक सुल्तानगंज के मोरारका कॉलेज में हिन्दी के प्राध्यापक रहे थे और साहित्यिक-राजनीतिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए समय से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर पटना आ गये थे| वे एकाधिक बार अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव रहे| व्यंग्य की विधा में लेखन करने के अलावा आलोचना के क्षेत्र में वे नियमित योगदान करते रहे| ‘नागार्जुन का कविकर्म’, ‘विकल्प की प्रक्रिया’, ‘आज का वैचारिक संघर्ष और मार्क्सवाद’, ‘आलोचना के बहाने’, ‘समय, समाज व मनुष्य’, ‘कविता का वर्तमान’, ‘छायावादी काव्य भाषा की विवेचना’, ‘दिव्या का सौंदर्य’, ‘रामधारी सिंह दिनकर : व्यक्तित्व और कृतित्व’, ‘कहानी : परम्परा और प्रगति’, ‘कहानी : संक्रमणशील कला’,  ‘प्रगतिशील आन्दोलन के इतिहास-पुरुष’ आदि उनकी प्रसिद्ध आलोचना-पुस्तकें हैं| प्रलेस के सांगठनिक कार्यों के साथ-साथ सीपीआई की जिम्मेदारियों को पूरा करने में काफी समय देने वाले खगेन्द्र जी इतना विपुल लेखन करने के लिए भी समय निकाल पाये, यह उनके अनेक परिचितों और चाहने वालों के लिए आश्चर्यजनक रहा है|

            हिन्दी के प्रगतिशील आन्दोलन को दिशा देने में खगेंद्र जी की अहम भूमिका रही है| वे स्वयं प्रगतिशील आन्दोलन के इतिहास-पुरुषों में से एक थे| उनका जाना हिन्दी की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है| जनवादी लेखक संघ उनकी स्मृति को नमन करता है|


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