नागार्जुन विशेषांक

नया पथ : जनवरी-जून 2011(संयुक्तांक) नागार्जुन विशेषांक  के रूप में प्रकाशित हुआ था। इसमें 410 पृष्ठों की सामग्री और चित्रावली प्रकाशित हुई थी।:उसके अनुक्रम को हम यहां दे रहे हैं :  –वेब संपादक

अनुक्रम

संपादकीय / 3

खंड एक: रचनाकार से मुलाक़ात

आत्मसाक्षात्कार

आईने के सामने / 7

साक्षात्कार

कहां-कहां से गुज़र गया और…: मनोहर श्याम जोशी / 19

यात्राी के गांव में तीर्थयात्री :  इब्बार रब्बी / 38

संस्मरण

स्मृतियां और चिट्ठियां: रामविलास शर्मा / 46

यादों भरे वे दिन: रामशरण शर्मा ‘मुंशी’ / 49

काल को चुनौती: खगेंद्र ठाकुर / 61

जीना है संग्राम बंदे…: शोभाकांत / 74

सपनों में भी सुनते हैं धरती की धड़कन: निर्मला गर्ग / 85

खिचड़ी विप्लव घर में देखा: रामप्रकाश त्रिपाठी / 89

नागार्जुन नहछू: सविता भार्गव / 95

संचयन

कविताएं / 98

गद्य रचनाएं / 177

खंड दो: परिधि का विस्तार

संदर्भ: संबद्ध, आबद्ध, प्रतिबद्ध

व्यंग्य-कविताओं के अंतःतल…: रामविलास शर्मा / 215

काव्यलोक से गुज़रते हुए: शिवकुमार मिश्र / 217

साम्राज्यवादी भूमंडलीकरण…: विश्वनाथ त्रिपाठी / 224

नेता परेशान हैं, जनता का तूफ़ान दबाने में: कांतिमोहन / 235

लो मशाल, अब घर-घर को आलोकित कर दो: मुरली मनोहर प्रसाद सिंह / 246

जनचेतना और संघर्ष की कविता: विजेंद्र नारायण ¯सह / 251

परिणत प्रज्ञा का काव्यसंसार: गोपेश्वर सिंह / 258

कविता में प्रकृति की लय: विजेंद्र / 264

जन जन में जो ऊर्जा भर दे: राजेश जोशी / 275

ये सिर्फ़ व्यंग्य कवि नहीं हैं: विष्णु नागर / 280

यथार्थवादी जादू और सर्जनात्मक अराजकता: कुमार अंबुज / 283

काव्यशास्त्रा की ऐसी तैसी: अष्टभुजा शुक्ल / 286

लोकगायक औघड़ कवि: दिनेश कुमार शुक्ल / 294

किसान चेतना और प्रतिरोध: मदन कश्यप / 299

प्रतिरोध का ‘अवांगार्द’ कवि: मनमोहन / 305

कविता के शिल्प में इतिहास की तामीर: अरुण आदित्य / 311

समकालीनों से भिन्न: गोविंद प्रसाद / 318

बची रहेगी ललकार: नीलेश रघुवंशी / 321

हरिजन-गाथा और अन्य कविताएं: वैभव सिंह / 323

संदर्भ: संगीत, चित्रकला, अनुवाद

संगीत के संदर्भ में कुछ नोट्स: नरेश सक्सेना / 334

कविता की ठुमरी: यतीन्द्र मिश्र / 340

कविताई में चित्रकारी का ठाठ: मनोज कुलकर्णी / 347

अनुवाद की प्रक्रिया में…: रतन चौहान / 351

संदर्भ: स्त्रीविमर्श

स्त्रीवादी उवाच: पालतू लड़की मत बन: रेखा अवस्थी / 355

भारतीय लोक का स्त्राी-पक्ष: अनामिका / 363

संदर्भ: आलोचना विमर्श

आलोचना का विमर्श: जवरीमल्ल पारख / 371

नये प्रतिमानों की छटपटाहट: गोपाल प्रधान / 380

संदर्भ: उपन्यास

प्रतिबद्ध क़िस्सागोई का कौशल: संजीव कुमार / 382

घायल की गति घायल जाने: रतिनाथ की चाची: शिवानी चोपड़ा / 391

संदर्भ: मैथिली साहित्य

मैथिली कविता का यात्राी-पथ: गंगेश गुंजन / 400

नागार्जुन का मैथिली कथा-साहित्य: कीर्त्तिनारायण मिश्र / 406

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पूरा विशेषांक पढ़ने के लिए क्लिक  Nagarjun Visheshank

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