अगसर वजाहत को पढ़ना अपने आप में एक सुखद अनुभव का एहसास कराता है. उनके लेखन मुस्लिम समाज के अंतर्विरोधों को पर्त दर पर्त समझने एक नई आधारभूमि देता है . मुस्लिम समाज में आए अंतर्विरोधों को वे भारतीय सामंती और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के चरित्र से जोड़कर देखते है. आजादी के बाद इस देश में विकसित मुस्लिम समाज के अंतविर्रोध और विशेष रूप साम्प्रदायिक संदर्भों उनके लेखन में हमेशा से ही जुड़े रहें है.
उन्होंने अपने पाकिस्तान के संस्मरणों में पाकिस्तान के अंदरूनी हालातों को बहुत गौर से देखा और समझा है और यह समझने और समझाने की कोशिश की है आखिर पाकिस्तान का मतलब है क्या . क्या पाकिस्तान का मतलब अल्लाह एक है या मुमकलते – खुदा दाद यानी ईश्वर प्रदत राज्य है या फिर पाकिस्तान का मतलब लाठी गोली और मार्शल लॉ है. अपनी इस किताब में उन्होंने पाकिस्तान के समाज को, पाकिस्तान की राजनीति को, भारत से पाकिस्तान के लोगों के असीम आत्मीय संबंधों को देखने का प्रयास किया गया है .हंस के लिया पाकिस्तान जैसे नारे की तस्दीक उन्होंने इतिहास में जाकर की है और बताया है कि पाकिस्तान के निर्माता मुहम्म्द अली जिन्ना भारतीय राजनीति और सामाजिक जीवन से सन्यास लेकर 1932 में ही लंदन चले गए थे उन्होंने यह जानना चाहिए कि पाकिस्तान की राजनीति में मुस्लिम लीग के कितने लोग जेल गए . किस किस की जायदाद जब्त की गई किसन ब्रिटिश हुकुमत के डंडे खाए कितने लोगों को फासी लगी कितने लोगों को काला पानी भेजा गया. इस सवालों को कोई जवाब उन्हें पाकिस्तान में नहीं मिल पाया अलबत्ता उन्हें यह जरूर पता चला कि लाहौर के सबसे मंहगें बाजार माल रोड में मुस्लमान की सिर्फ एक दुकान थी पुराने शहर की अनारकली बाजार में मुसलमानों की दो दुकाने थी आज सूरते हाल उल्टी है इसके अलावा पंजाब में जमीने सिखों के हाथ में थी अब मुसलमानों के पास है यह सब बहुत जल्दी ओर करप्ट तरीके से हुआ .
अपने इस यात्रा संस्मरण में असगर वजाहत यह रेखाकिंत करते हुए दिखाई देते है कि पाकिस्तान के लिए संघर्ष करते हुए यह किसी ने नहीं सोचा कि भाविष्य के पाकिस्तान का क्या स्वरूप होगा. उनका राजनैतिक ढांचा किन सिद्वातों के आधार पर होगा. राज्य की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था क्या होगी . और जिसके अंतत: परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान बनने के सिर्फ तीस साल बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जियाउल हक ने देश को इस्लाम के आधार पर मुसिलम देश बनाने की घोषणा कर दी .
अपनी यात्रा के दौरान असगर बजाहत बताते है कि धर्म का जितना सार्वजनिक प्रदर्शन पाकिस्तान में है उतना इस्लामी गण्राज्य ईरान में भी नहीं है . इमारतों क ऊपर घरों के ऊपर दुकानों के अंदर ओर बाहर,छतों पर पेड़ो के तनों पर पार्को और मैदानों में बागों और फुलवारियों में हर जगह अल्लाह,कलमा या कुरान की आयते दिखाई देती है .आलीशान घरों के ऊपर माशा- अल्लाह या सुभान अल्लाह दिखाई पड़ता है.
अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान असगर वजाहत ऐसे पाकिस्तानियों से मिलते है जो भारत के असीम अनुरा्ग रखते है, जो हिऩ्दूस्तान से आए लोगों को उपहार देकर खुश होते है . असगर वजाहत दोनो देशों की वीजा नीति पर भी सवाल उठाते है .दोनोदेशों के नियामको की सोच के कारण ही करोड़पति सरदार जवसवंत सिंह के पास आलीशान गाडि़या होने के बावजूद वे अपनी मां को अमृतसरसे लाहौर का पचास मील का सफर नहीं तय करवा पाते.मूल में दोनो देशों की वीजा नीति है. असगर का मानना है कि इस वीजानीति को अधिक मानवीय बनाया जा सकता है एक दिन का वीजा,ग्रुप वीजा संरक्षण में यात्रा सिक्यूरिटी के साथ वीजा जैसे कई उपायों पर विचार किया जा सकता है .
अपनी इस पाकिस्तान यात्रा के दौरान असगर वजाहत मुल्तान में गुजारे गए कुछ दिनों का जिक्र विस्तार से करते है और बताते है कि जो भी इस शहर से गुजरा है उसने दिल्ली की तरह इस शहर को भी लूटा है. सिकन्दर महान से लेकर मुहम्म्द बिन कासिम, महमूद गजनवी मोहम्मद गौरी तक की लूटमार के निशान इसके चेहरे पर देखे जो सकते है.और मुल्तान के बारे में बताते है कि मुल्तान पीरों ,सूफियों और भिखारियों का शहर माना जाता है और यहां कि धूल गर्मी ,फकीर,और कब्रिस्तान प्रसिद्ध है .
अपनी इस यात्रा के प्रसंग में असगर वजाहत पाकिस्तान के इस्लाइमाइजेशन की प्रक्रिया को विस्तार से वर्णन करते है और मनुष्य के जीवनमें इससे से उत्पन्न दारूण प्रसंगों का उल्लेख करते है . वे विसतर से बताते है कि राष्ट्रपति जुल्फिकार भुट्टों और लेफ्टीनेंट जनरल जियाउल हक ने अपनी सत्ता बनाए रखने और लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाए रखने के लिए इस्लाम धर्म का सहारा लिया और पाकिस्तान का इस्लामाइेजशन कर दिया. इस्लामी कानून बनाए गए इन्हीं कानूनों में से ब्लैफैसी लॉ बना दियागया इसके अनुसार किसी गैर मुस्लिम के बारे में दो मुसलमान ये गवाही दे कि आदमी या औरत ने ऐसा कुछ किया बोला,लिखा है जिससे पैगम्बर मुहम्म्द साहब का अपमान होता है तो धार्मिक अदालत आरोपी को फांसी की सजा देगी
अपनी इस यात्रा के दौरान असगर वजाहत ने पाकिस्तान के अंदरूनी हालातों का बयान करते हुए पाकिस्तान के जीवन की वास्तविकताओं को सामने लाएं है उन्होंने बताया है कि पाकिस्तान में भारत जैसे उद्योग विकसित नहीं हो सके.भारत जैसा व्यापार नहीं हो सका जिसका परिणाम यह हुआ कि विज्ञान व्यवसाय नहींपनप सकता ओर परिणामत: पाकिस्तान के अख़बार बहुत मंहगे है दो तीन अख़बार और कुछ पत्रिकाएं आठ सौ रूपए होती है. वहां के लोग भारतकी प्रगति और खुशहालीके समर्थक है. वे भारत की उपलब्धियोंकीप्रशंसा करते है और पाकिस्तान समाज के तलेबानीकरण से बहुत चिंतित है . उनके पास पैसा है .वे पूरी दुनिया घूमना चाहते है विदेश में पढ़ना चाहते है लेकिन उन्हें वीजा नहीं मिलता यहां तक कि टूरिस्ट वीजा भी आसानी से नहीं मिलता .
असगर वजाहत 1947 के बने पाकिस्तान की राजनीति का विस्तार से हवाला देते हुए बताते है कि पाकिस्तान का सपना मुख्यत: उत्त्र प्रदेश और दिल्ली के संभ्रात मुसलमानों का सपना था जो अपने लिए सेफ हैवन बनाना चाहते थे. पाकिस्तान का मतलब मोहाजिरों का देश था पाकिस्तान के सभी योद्धा मुहम्म्द अली जिन्ना लियाकत अली खां हुसैन शहीद सुहरावर्दी और फजलुल हक सभी माहाजिर थे देश के 21 प्रतिशत उंचे सरकारी पद माहाजिरों के पास थे उद्योग और व्यापार में भी मोहजिर ही आगे थे राजधानी कराची को मोहजिर कंट्रोल करते थे . आगे चलकर सिंकंदर मिर्जा को जब यह लगा कि वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति नहीं बन सकते तो उन्होंने मोहम्म्द अयूबखां को विश्वास में लेकर पाकिस्तान में मार्शल लॉ घोषित कर दिया. और लंबे समय के लिए पाकिस्तान को सेना की गोद में डाल दिया . और आर्मी के अफसरों ने दसियों ऐसे ट्रस्ट बना दिए जिनके माध्यम से अपनी जमीनजायदाद बना रहें है वहांसेना बिजनेसकरतीहै और उनका प्राफिट बड़े बड़े जनरलों से लेकर छोटे मोटे ऑफिसर्स तक को जाता है.उन्होंने बताया है कि जनरलजिया उल हक के कार्यकालमें न केवल सेना के कारोबार और अधिकारियों को दिए जाने वाले इनामों और तोहफों में वृद्धि हुई बल्कि चुने गए राष्ट्रपतिजुल्फिकार अली भूटटों को फांसी पर चढ़ाकर सेना ने यह सिद्ध कर दिया कि चुनी हुई सरकारे में उसके प्रभाव से स्वतंत्र नहीं है और इसी कारण से बेनजीर भुटटों और नवाज शरीफकी सरकारों ने फौज के कारोबार की तरफ निगाह उठा कर नहीं देखा और यह फलता फूलता चला गया. उन्होंने आगे बताया है पाकिसतान की सेना देश की अर्थव्यवस्था को और रसातल में ले जा रहीं है .
अपनी पाकिस्तान यात्रा के निष्कार्षो को व्यंवग्यात्मक लहजे में बताते है कि
• यह कहना मुश्किल है कि पाकिस्तान में फौज मुल्क की खिदमत कर रहींहैया मुल्क फौज की खिदमत कर रहा है .
• पाकिस्तान किसी दुसरे को नुकासान पहुंचाने के खिलाफ है जब नुकसान पहुंचाना जरूरी हो जाता है तो अपने को ही नुकासान पहुंचा लेता है
• पाकिस्तान में सूरज पश्चिम से निकलता है
• पाकिस्तान में टीचर और वह भी हिस्ट्री का टीचर होना बहुत खतरनाक है
• पाकिस्तान के पब्लिशर्स सब कुछ छाप लेते है पर संविधान नहीं छापते .
• पाकिस्तान में गैर इस्लामी टैकस को इस्लामी बना दिया है
• पाकिस्तान एक चीज को दो कर देने में माहिर है.
• डिवाइड एंड रूल सिर्फ अंग्रेजों की ही बपौती नहीं है.
असगर वजाहत में अपनी पाकिस्तान की इस यात्रा में पाकिस्तान के अंदरूनी हॉलत, वहां के साहित्यक सामाजिक परिवेश और लोगों से मिल जुलकर उनसे संवाद कर और अपने अनुभवों के साथ आज के समय के पाकिस्तान का एक ऐसा दस्तावेज तैयार किया है जो आज के पाकिस्तान को समझने में मदद करता है . यह किताब एक ऐसे दस्तावेज की तरह पढ़ी ओर समझी जानी चाहिए. जिसमें अनुभव है, संवेदनाएं है, करुणा है दुःख है ,खुाशियां है, विचार है और इस किताब को पढ़ने का सुखद एहसास है .
हरियश राय