अरविंद कुमार जी के निधन पर

नयी दिल्‍ली- 28 अप्रैल : हिंदी के महान कोशकार और शब्द-साधक अरविंद कुमार का निधन हिंदी दुनिया की एक अपूरणीय क्षति है। जीवन के 90 वर्ष पूरे कर लेने के बाद भी वे सक्रिय और सृजनशील थे। बीते 27 अप्रैल को वे हमारे बीच नहीं रहे।

मेरठ में 1930 में जन्मे अरविंद जी ने घर की माली हालत को देखते हुए 15 साल की उम्र में दिल्ली प्रेस में नौकरी शुरू की थी। वहां टाइप-सेटर, कैशियर, प्रूफ़-रीडर आदि के काम करते हुए वे, कारवां पत्रिका के उप-संपादक के पद तक पहुंचे। फिर 1963 में टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह की सिने-पत्रिका, माधुरी के संपादक बनकर बंबई चले गये और लंबे समय तक वहां अपनी सेवाएं देकर उन्होंने फ़िल्मी पत्रकारिता का एक मानक क़ायम किया। बाद में हिंदी में एक थिसारस की कमी को पूरा करने की धुन में उन्होंने वर्षों के श्रम से 1996 में समांतर कोश तैयार किया जिसमें उनकी पत्नी कुसुम कुमार भी उनकी सहयोगी थीं। यह एक अनोखा काम था जिसे हिंदी की दुनिया में प्रभूत सराहना मिली। 2007 में उन्होंने The Penguin English-Hindi / Hindi-English Thesaurus & Dictionary नाम से पहला द्विभाषी थिसारस प्रकाशित किया। 2015 में अरविंद वर्ड पावर : इंग्लिश-हिंदी का प्रकाशन हुआ जिसमें 6,70,000 इंदराज हैं। यहां उन्होंने Spiral-shaped के लिए ‘स्पाइरलाकार’ जैसे शब्द दिये हैं। वस्तुतः भाषा को बहते नीर की तरह बरतना कोशकार के रूप में अरविंद कुमार की एक बड़ी विशेषता है।

सिने-पत्रकारिता से लेकर कोश-निर्माण तक, अरविंद कुमार के सारे काम स्थायी महत्त्व के हैं। हिंदी जगत उन्हें कभी विस्मृत नहीं कर सकता।

जनवादी लेखक संघ शब्द-साधक अरविंद जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।


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