नयी दिल्ली : 25 अक्टूबर : ‘प्रलय की विभीषिका में / शीत झेलते / नौका पर परंपरागत / बीज को ढोते / मैं मनुस्मृति नहीं गढ़ सकता / मुझे उगाने होंगे / घने अंधेरे में / चेतना के अंकुर / … Continue reading
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नयी दिल्ली: 2 अक्टूबर: दलित चिंतक प्रो. कांचा इलैया शेफ़र्ड ने पिछले एक हफ़्ते से अपने को हैदराबाद के अपने घर में बंद कर रखा है। कारण है, उनकी किताब ‘पोस्ट-हिन्दू इंडिया’ के एक अध्याय पर आर्य वैश्य समुदाय की … Continue reading
नयी दिल्ली : 24 सितंबर : ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के जवाबी नारे ‘बचेगी बेटी तो पढ़ेगी बेटी’ के साथ सड़क पर उतरी बीएचयू की छात्राओं पर बर्बर लाठीचार्ज करवाकर बीएचयू प्रशासन, उत्तरप्रदेश सरकार और फ़ासीवादी आरएसएस ने अपने को … Continue reading
Janvadi Lekhak Sangh India Facebook की दीवार से : गौरी लंकेश निडर और मुखर थीं, साथ ही अपनी आवाज़ को लोगों तक पहुंचाने का प्रबंध करने में कुशल भी. ‘गौरी लंकेश पत्रिके’ को सरकारी या कॉर्पोरेट क्षेत्र के विज्ञापनों की … Continue reading
नयी दिल्ली : 15 अगस्त : वरिष्ठ कवि श्री चंद्रकांत देवताले का निधन हिन्दी के लेखक-पाठक समाज को शोक-संतप्त कर देनेवाली ख़बर है. वे एक महीने से अधिक समय से दिल्ली के पटपड़गंज स्थित एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां … Continue reading
28.07.2017 को जलेस के केन्द्रीय कार्यालय में हुई कार्यकारी मंडल की बैठक में सभी साथी इस बात से सहमत हुए कि राष्ट्रीय सम्मलेन के लिए तय तारीखों को बदलना अपरिहार्य कारणों से आवश्यक है. बदलाव के लिए हमने झारखंड के … Continue reading
जलेस केन्द्रीय कार्यकारिणी एवं केन्द्रीय परिषद् की बैठक : 30.04.2017 महासचिव की रिपोर्ट पिछले राष्ट्रीय सम्मलेन के बाद से यह हमारी केन्द्रीय कार्यकारिणी की चौथी और केन्द्रीय परिषद् की पहली बैठक है. बैठकों की संख्या इससे अधिक होनी चाहिए थी, … Continue reading
नयी दिल्ली : 9 मई: संस्कृति मंत्रालय ने अपने अधीन 30 से अधिक स्वायत्त संस्थाओं को दी जानेवाली निधि में भारी कटौती करने का फैसला किया है। ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ में 5 मई को छपी आशुतोष भारद्वाज के रिपोर्ट के … Continue reading
मुक्तिबोध पर एक परिसंवाद की रपट हमारे समय के अंधेरे में बजरंग बिहारी जनवादी लेखक संघ और राजेंद्र प्रसाद अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार दिनांक 29 अप्रैल, 2017 को आइटीओ के निकट राजेंद्र प्रसाद भवन, नई दिल्ली में मुक्तिबोध … Continue reading
जलेस की फे़सबुक से एक पोस्ट ‘मुझे अपनी फ़िक्र नहीं. बुनियादपरस्ती से लड़ने का एकमात्र तरीक़ा यही है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लिखा जाए और अधिक रैलियाँ की जायें।‘ ये शब्द हैं बांग्ला कवयित्री मंदाक्रांता सेन के, जिन्हें हिन्दुत्ववादियों ने फे़सबुक पर … Continue reading