नयी दिल्ली : 14 अप्रैल : 94 वर्ष की अवस्था में आज चित्रकार-कथाकार राम कुमार का दिल्ली में निधन हो गया. उनके निधन से कला-संस्कृति जगत शोक-संतप्त है.
राम कुमार भारत के प्रथम श्रेणी के कलाकारों में थे. चालीस और पचास के दशक में एम. एफ़. हुसैन, तैयब मेहता, एफ़. एन. सूज़ा, और सैयद हसन रज़ा जैसे चित्रकारों के साथ प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप में सक्रिय होकर पेंटिंग की दुनिया में नयी ज़मीन तोड़ने वाले कलाकार के रूप में इतिहास में उनका स्थान सुरक्षित है. आरम्भ में आकृतिमूलक चित्रकृतियां देनेवाले राम कुमार बाद में अमूर्त पेंटिंग के लिए जाने गए. लम्बे समय वे पेरिस में भी रहे, जहां प्रगतिशील कला आन्दोलनों के साथ-साथ वे फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी से भी जुड़े.
हिन्दी की दुनिया राम कुमार को एक समर्थ कहानीकार के रूप में जानती रही है, यद्यपि एक समय के बाद चित्रकला की प्राथमिकता के बीच उनका लेखन बहुत विरल हो गया. ‘शिलालेख तथा अन्य कहानियां’ और ‘योरप के स्केच’ उनकी चर्चित किताबें हैं.
पद्मभूषण से सम्मानित राम कुमार रॉकफेलर फ़ेलो और ललित कला अकादमी फ़ेलो भी रहे. साथ ही, वे कालिदास सम्मान, भारत सरकार के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और फ़्रांस सरकार के ऑफिसर्स आर्ट्स एट लेटर्स से भी सम्मानित हुए.
जनवादी लेखक संघ राम कुमार के निधन पर अपना शोक व्यक्त करता है और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है.