नयी दिल्ली : 30 मार्च : देशव्यापी लॉकडाउन के बीच ही चित्रकार सतीश गुजराल और इतिहासकार प्रो. अर्जुन देव के निधन की दुखद सूचना आयी| इन दोनों का इंतकाल प्रगतिशील-जनवादी विचार-परपरा के लिए एक बड़ी क्षति है|
1938 में पश्चिम पंजाब में जन्मे प्रो. अर्जुन देव लंबे समय तक एनसीइआरटी में कार्यरत रहे| वे एक प्रतिबद्ध और समर्पित इतिहासकार थे| उन्होंने अपने पत्नी इंदिरा अर्जुन देव के साथ मिलकर आधुनिक भारत और विश्व पर विद्यालयी पाठ्यपुस्तकें लिखीं और रामशरण शर्मा, रोमिला थापर, बिपन चंद्रा जैसे चोटी के इतिहासकारों से पाठ्यपुस्तकें लिखवायीं भी| सेवानिवृत्ति के बाद वे भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् की ‘टुवर्ड्स फ्रीडम’ परियोजना में व्यस्त हो गये| इतिहास-लेखन के सांप्रदायीकरण पर हमला करने में आगे रहने वाले प्रो. अर्जुन देव आरएसएस और उसके दूर-संचालन में चलने वाली वर्त्तमान सरकार की आंखों में हमेशा खटकते रहे|
सतीश गुजराल का जन्म 1925 में झेलम में हुआ था जो प्रो.अर्जुन देव के जन्म-स्थान की तरह ही वर्त्तमान पकिस्तान में आता है| विभाजन और आज़ादी के बाद वे भारतीय चित्र और मूर्तिकला के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर के रूप में उभरे। शारीरिक बाधाओं के बावजूद उन्होंने पेंटिंग की दुनिया में अपना निजी मुहावरा और मुक़ाम हासिल किया| वास्तुकला में उन्होंने नये प्रयोग किये और म्यूरल बनाने में भी वे सिद्ध-हस्त थे|
जनवादी लेखक संघ इन दो मूर्धन्यों को सादर नमन करता है|