डांगावास के निहितार्थ : बजरंग बिहारी तिवारी

दलितों के उत्पीड़न के मामले में हरियाणा इतना बदनाम है कि पड़ोसी राज्य राजस्थान को अक्सर शांत इलाका मान लिया जाता है. गाहे-बगाहे वहां से जातिवादी हिंसा की जो खबरें आती हैं वे हरियाणा की भीषण वारदातों के समक्ष उपेक्षित-सी … Continue reading

सांप्रदायिक फ़ासीवाद का उभार और लेखकीय प्रतिरोध का समय – चंचल चौहान

सांप्रदायिक फ़ासीवाद का उभार और लेखकीय प्रतिरोध का समय – चंचल चौहान निराला की एक कविता है : ‘राजे ने अपनी रखवाली की।‘ यह साफ़तौर पर वर्ग-विभाजित समाज में शोषकवर्ग के वर्चस्व से जुड़ी असलियत खोलती है। वाचक ने इस कविता … Continue reading