एजाज़ अहमद नहीं रहे

नयी दिल्ली : 10 मार्च 2022 : विश्वविख्यात मार्क्सवादी सिद्धांतकार एजाज़ अहमद के इंतकाल की सूचना से हम सभी स्तब्ध हैं। मार्क्सवादी सैद्धांतिकी, साहित्यिक-सांस्कृतिक अध्ययन और राजनीतिक विश्लेषण के क्षेत्र में वे पूरी दुनिया की सर्वोत्तम मनीषा का प्रतिनिधित्व करनेवाले विद्वान थे।

             1941 में उत्तर प्रदेश में जन्मे एजाज़ अहमद का पालन-पोषण विभाजन के बाद पाकिस्तान में हुआ। अमेरिका और कनाडा के अनेक विश्वविद्यालयों में अध्यापन के बाद पिछली सदी के आख़िरी दशक में वे नयी दिल्ली स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूज़िअम एंड लाइब्रेरी में प्रोफ़ेसोरियल फ़ेलो बनकर आये। भारत में वे जेएनयू के सेंटर फ़ॉर पोलिटिकल स्टडीज़ में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर भी रहे। 2017 से वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, इर्विन स्कूल ऑफ़ ह्यूमैनिटीज़ के तुलनात्मक साहित्य विभाग में प्रोफ़ेसर के पद पर थे। उनकी बहुचर्चित किताबों में से कुछ हैं: In Theory: Classes, Nations, LiteraturesLineages of the Present: Ideological and Political Genealogies of Contemporary South Asia; Iraq, Afghanistan and the Imperialism of Our Time.

               एजाज़ साहब उत्तर-आधुनिकता और उत्तर-संरचनावाद की सैद्धांतिक प्रस्थापनाओं से सीधे टकरानेवाले विश्वख्यात बौद्धिक थे। देरीदा, फ़्रेडरीख जेमसन, एडवर्ड सईद जैसे सिद्धांतकारों की मान्यताओं का उनके द्वारा किया गया प्रत्याख्यान बहुचर्चित और समादृत रहा है। हिंदी की दुनिया में वे दिल्ली के त्रिवेणी सभागार में मार्क्सवाद के महत्त्व पर केंद्रित ‘पहल व्याख्यान’ के साथ चर्चा में आये। भारत में पहली बार आने पर प्रोफ़ेसर मुहम्मद हसन के साथ वे जनवादी लेखक संघ के केंद्रीय कार्यालय में भी आये, महमूद दरवेश की कविताओं के अनुवाद और अपनी कुछ कविताएं भी सुनायीं जिन्हें हमने नया पथ में प्रकाशित किया।

तब से ले कर अब तक जनवादी लेखक संघ के साथ एजाज़ साहब का निकट संबंध बना रहा। 1997 में कोलकाता में आयोजित जलेस का राष्ट्रीय सम्मलेन उनके उद्घाटन-भाषण से आरंभ हुआ था। नया पथ के ‘प्रगतिशील आंदोलन के 75 साल’ पर केंद्रित अंक के लोकार्पण के अवसर पर हुए कार्यक्रम में भी उन्होंने प्रगतिशील आंदोलन की विरासत पर अपना महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिया। उनका लेखन और विश्लेषण हिंदी के जनवादी लेखकों के लिए पथप्रदर्शक रहा है।

जनवादी लेखक संघ एजाज़ साहब के इंतकाल से शोकसंतप्त है और भरे मन से उन्हें खिराजे अक़ीदत पेश करता है।

 


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